Class 11 Sanskrit Meghdutam Bengali Analysis | মেঘদূতম্ এর বাংলা অনুবাদ | একাদশ শ্রেণী সংস্কৃত পদ্যাংশ মেঘদূতম্

 

॥मेघदूतम्॥ মেঘদূতম্

॥मेघदूतम्॥মেঘদূতম্



Class 11 Sanskrit Meghdutam Bengali Analysis

মেঘদূতম্ এর বাংলা অনুবাদ

একাদশ শ্রেণী সংস্কৃত পদ্যাংশ মেঘদূতম্

Meghdutom bengali Meaning

মেঘদুতম 



॥मेघदूतम्॥

মেঘদূতম্

कश्चित् कान्ताविरहगुरुणा स्वाधिकारप्रमत्तः 

शापेनास्तंगमितमहिमा बर्षभोग्येण भर्तुः । 

यक्षश्चक्रे जनकतनयास्नानपुण्योदकेषु 

स्निग्धच्छायातरुषु वसतिं रामगिर्याश्रमेषु ॥१॥

কশ্চিৎকাত্তাবিরহগুরুণা স্বাধিকার প্রমত্তঃ 

শাপেনাস্তংগমিতমহিমা বর্ষভোগ্যেণ ভর্তুঃ। 

যক্ষশ্চক্রে জনকতনয়াস্থানপুণ্যোদকেষু

 স্নিগ্ধচ্ছায়াতরুষ বসতিং রামগির্যাশ্রমেষু ॥১॥


तस्मिन्नद्रौ कतिचिदबलाविप्रयुक्तः स काम

 नीत्वा मासान् कनकवलयभ्रंशरिक्तप्रकोष्ठः । 

आषाढस्य प्रथमदिवसे मेघमाश्लिष्टसानं 

वप्रक्रीडापरिणतगजप्रेक्षणीयं ददर्श ॥२॥

তস্মিন্নদ্রৌ কতিচিদবল্যাবিপ্রযুক্তঃ স কাম

 নীত্বা মাসান্ কনকবলয়ভ্রংশরিক্তপ্রকোষ্ঠঃ।

 আষাঢ়স্য প্রথমদিবসে মেঘমাশ্লিষ্টসানুং

 বপ্রক্রীড়াপরিণতগজপ্ৰেক্ষণীয়ং দদৰ্শ ॥২॥


तस्य स्थित्वा कथमपि पुरः कौतुकाधानहेतो 

हन्तर्बाष्पश्चिरमनुचरो राजराजस्य दध्यौ । 

मेघालोके भवति सुखिनोऽप्यन्यथावृत्तिचेतः

 कण्ठाश्लेषप्रणयिनि जने किं पुनर्दूरसंस्थे ॥३॥

তস্য স্বিত্বা কথমপি পুরঃ কৌতুকাধানহেতোঃ

 অন্তর্বাষ্পশ্চিরমনুচরো রাজরাজস্য দধ্যৌ। 

মেঘালোকে ভবতি সুখিনোংপ্যন্যথাবৃত্তিচেতঃ 

কণ্ঠাশ্লেষপ্রণয়িনি জনে কিং পুনদূরসংস্থে ॥৩॥


प्रत्यासन्ने नभसि दयिताजीवितालम्वनार्थी

जीमूतेन स्वकुशलमयीं हारयिष्यन् प्रवृत्तिम् । 

स प्रत्यग्रैः कुटजकुसुमैः कल्पितार्घ्याय तस्मै 

प्रीतः प्रीतिप्रमुखवचनं स्वागतं व्याजहार ॥४॥

প্রত্যাসন্নে নভসি দয়িতাজীবিতালম্বনার্থী 

জীমূতেন স্বকুশলময়ীং হারয়িষ্যন্ প্রবৃত্তিম্।

 স প্রত্যগ্রৈঃ কুটজকুসুমৈঃ কল্পিতার্ঘ্য্যায় তস্মৈ

 প্রীতঃ প্রীতিপ্রমুখবচনং স্বাগতং ব্যাজহার ॥৪॥


धूमज्योतिः सलिलमरुतां संनिपातः क्व मेघः 

संदेशार्थाः क्व पटुकरणैः प्राणिभिः प्रापणीयाः। 

इत्यौत्सुक्यादपरिगणयन् गुह्यकस्तं ययाचे 

कामार्ता हि प्रकृतिकृपणाश्चेतनाचेतनेषु ॥५॥

ধূমজ্যোতিঃ সলিলমরুতাং সংনিপাতঃ ক্ব মেঘঃ 

সংদেশার্থাঃ ক্ব পটুকরণৈঃ প্রাণিভিঃ প্রাপণীয়াঃ ।

 ইত্যৌৎসুক্যাদপরিগণয়ন্ গুহ্যকস্তং যযাচে

 কামার্তা হি প্ৰকৃতিকৃপণাশ্চেতনাচেতনেষু ॥৫॥


जातं वंशे भुवनविदिते पुष्करावर्तकानां 

जानामि त्वां प्रकृतिपुरुषं कामरूपं मघोनः । 

तेनार्थित्वं त्वयि विधिवशाद्दूरबन्धुर्गतोऽहं 

याच्ञा मोघा वरमधिगुणे नाधमे लब्धकामा ॥६॥

জাতং বংশে ভুবনবিদিতে পুষ্করাবর্তকানাং 

জানামি ত্বাং প্রকৃতিপুরুষং কামরূপং মঘোনঃ। 

তেনার্থিত্বং ত্বয়ি বিধিবশাদ্দহরবন্ধুর্গতোহহং 

যাঞ্চা মোঘা বরমধিগুণে নাধমে লন্ধকামা ॥৬॥


संतप्तानां त्वमसि शरणं तत् पयोद प्रियायाः 

संदेश में हर धनपतिक्रोधविश्लेषितस्य । 

गन्तव्या ते वसतिरलका नाम यक्षेश्वराणां 

वाह्योद्यानस्थितहरशिरश्चन्द्रिकाधौतहर्म्या ॥७ ॥

সংতপ্তানাং ত্বমসি শরণং তৎ পয়োদ প্রিয়ায়াঃ 

সংদেশং মে হর ধনপতিক্রোধবিশ্লেষিতস্য। 

গম্ভব্যা তে বসতিরলকা নাম যক্ষেশ্বরাণাং 

বাহ্যোদ্যানস্থিতহরশিরশ্চন্দ্রিকাধৌতহর্মা ॥৭॥


त्वामारूढं पवनपदवीमुद्गृहीतालकान्ताः

 प्रेक्षिष्यन्ते पथिकवनिताः प्रत्ययादाश्चसत्यः । 

कः संनद्धे विरहविधुरां त्वय्युपेक्षेत जायां 

न स्यादन्योऽप्यहमिव जनो यः पराधीनवृत्तिः ॥८॥

ত্বামারূঢ়ং পবনপদবীমুদ্‌গৃহীতালকান্তা 

 প্রেক্ষিষ্যন্তে পথিকবনিতাঃ প্রত্যয়াদাশ্চসত্যঃ ।

 কঃ সংনদ্ধে বিরহবিধুরাং ত্বয্যুপেক্ষেত জায়াং 

ন স্যাদন্যোংপ্যহমিব জনো যঃ পরাধীনবৃত্তিঃ ॥৮॥


मन्दं मन्दं नुदति पवनश्वानुकूलो यथा त्वां 

वामश्चायं नदति मधुरं चातकस्ते सगन्धः । 

गर्भाधानक्षणपरिचयान्नूनमाबद्धमालाः 

सेविष्यन्ते नयनसुभगं खे भवन्तं बलाकाः ॥९॥

মন্দং মন্দং নুদতি পবনশ্চানুকূলো যথা ত্বাং 

বামশ্চায়ং নদতি মধুরং চাতকস্তে সগন্ধঃ ৷ 

গর্ভাধানক্ষণপরিচয়ানূনমাবদ্ধমালাঃ

 সেবিষ্যন্তে নয়নসুভগং খে ভবন্তং বলাকাঃ ॥৯॥


तां चावश्यं दिवसगणनातत्परामेकपत्नीम् 

अव्यापन्नामविहतगतिर्द्रक्ष्यसि भ्रातृजायाम्। 

आशाबन्धः कुसुमसदृशं प्रायशो ह्यङ्गनानां 

सद्यः पाति प्रणयि हृदयं विप्रयोगे रुणद्धि ॥ १० ॥

তাং চাবশ্যং দিবসগণনাতৎপরামেকপত্নীম্ 

অব্যাপন্নামবিহতগতিদ্রক্ষ্যসি ভ্রাতৃজায়াম্।

 আশাবন্ধঃ কুসুমসদৃশং প্রায়শো হঙ্গনানাং 

সদ্যঃপাতি প্রণয়িহৃদয়ং বিপ্রয়োগে রুণদ্ধি ॥১০ ৷৷








Newton Hossain

Newton Hossain, the founder of this blog, is a Lecturer of the English Language and also loves to explain Life science and Geography.

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